वर्तमान में स्कूली शिक्षा विभाग में पूरी तरह से अफसरों का राज चल रहा है। राजनीतिक नेतृत्व, जनप्रतिनिधि व सत्ताधारी दल पूरी तरह से नेपथ्य में चल रहे हैं। अपने मनचाहे निर्णयों से पूरे शिक्षा विभाग को हलकान करने वाले अधिकारियों की एक विशेष फौज अब सरकारी खर्चे पर अपने चहेतों, अधिकारियों के आगे-पीछे घूमने वालों को कोरिया की सैर करवा रहे हैं। शिक्षा विभाग ऐसे अधिकारियों व कर्मचारियों को कोरिया भेज रहा है जिनका शिक्षा से दूर-दूर तक नाता नहीं है। नई पद्वति के लिए प्रशिक्षण के नाम पर अब तक तीन दल कोरिया जा चुके हैं और चैथा दल जाने की तैयारी में हैं।
खुद स्कूली शिक्षा मंत्री प्रभुराम चैधरी कह चुके हैं कि कोरिया के दल में केवल शिक्षकों को ही भेजा जाएगा, ऐसे शिक्षकों का नाम शामिल किया जाए जिनका बच्चों से नाता जुड़ा हो, उसके बावजूद भी शिक्षा पद्वति के नाम केवल मौज-मस्ती के भ्रमण में राज्य शिक्षा केंद्र के प्रोग्रामर, बाबू, डीपीआई में पदस्थ ऐसे शिक्षक जिनका पढ़ाई से कभी नाता नहीं रहा और आगे भी नहीं रहने वाला है। कोरिया जाने वाले दलों में प्राचार्यो को छोड़कर डीपीआई का दल, राज्य शिक्षा कंेद्र का दल, पाठ्यपुस्तक निगम का दल केवल सरकारी खर्चे पर घूमने के लिए जा रहा है।
कोरिया जाने वाले दल के सदस्यों को लेकर अधिकारियों पर ही सवाल उठ रहे हैं उसके बावजूद भी अधिकारियों की हठधर्मिता के लिए सवालों को ही साईडलाइन कर दिया जा रहा है।